गोमती रिवर फ्रंट घोटाले (Gomti River Front Scam) में सीबीआई लगातार एक्शन मोड में है. एफआईआर में शामिल 189 लोगों से जुड़े ठिकानों पर सीबीआई की छापेमारी (CBI Raid) लगातार जारी है. जांच एजेंसी ने अब तक 48 जगहों पर छानबीन की है. इस दौरान सीबीआ को अवैध संपत्ति से जुड़े कई अहम डॉक्युमेंट्स मिले हैं. वहीं लेपटॉप और कंम्यूटर से डिजिटल डाटा भी मिला है. छापेमारी के दौरान इन ठिकानों से नकदी भी बरामद की गई है.
CBI की टीम ने मेरठ के एक सीनियर आईएएस ऑफिसर के एक रिश्तेदार के घर पर भी छापेमारी की है. IAS की रिश्तेदार ने भी गोमती रिवर फ्रंट प्रोजेक्ट में कंस्ट्रक्शन कंपनी (Construction Company) के साथ काम किया था. CBI ने इस कंस्ट्रक्शन कंपनी के मेरठ हेड ऑफिस में भी छामेमारी की. इस दौरान जांच एजेंसी को कई अहम सुराग (CBI Get Evidence) मिले हैं. इसके आधार परकई और IAS अफसरों के रिश्तेदार भी अब जांच एजेंसी के रडार पर हैं.
CBI को मिले अहम दस्तावेज
बतादें कि सोमवार को गोमती रिवर फ्रंट घोटाला मामले में CBI ने छापेमारी शुरू की थी. जांच एजेंसी ने 16 इंजीनियर और कर्मचारियों समेत 189 लोगों के ठिकानों पर छापेमारी की गई थी. वहीं मंगलवार को 7 और जगहों पर छापेमारी की गई थी. इस दौरान करोड़ों रुपये के घोटाला मामले में कई अहम सबूत सीबीआई के हाथ लगे हैं.
गोमती रिवर फ्रंट घोटाला मामले में CBI ने गोरखपुर में बीजेपी विधायक राकेश सिंह बघेल और इटावा में शिवपाल सिंह यादव के करीबी ठेकेदारों के ठिकानों पर भी छापेमारी की. वहीं मामले में आरोपी पुनीत अग्रवाल के घर पर रेड मारकर जांच एजेंसी ने कई घंटों तक उनसे पूछताछ की.
आरोपियों के मददगारों तक पहुंचने में जुटी CBI
CBI घोटाला मामले में हर एक आरोपी तक पहुंचने की पूरी कोशिश कर रही है. वह यह जानना चाहती है कि किन लोगों की मदद से आरोपियों को टेंडर दिए गए. वह कौन अधिकारी थे जिनके आदेश पर इन्हें गोमती रिवर फ्रंट मामले में संशोधित बजट को मंजूरी दी गई थी.
रिवर फ्रंट घोटाला मामले में अब तक CBI ने सिर्फ ठेकेदारों और सिंचाई विभाग के इंजीनियरों को ही आरोपी बनाया है. जब कि सरकार के आदेश के मुताबिक 25 करोड़ से ज्यादा के खर्च वाले प्रस्ताव को वित्त समिति ने मंजूरी दी थी. इस समिति को प्रमुख सचिव की अध्यक्षता में बनाया गया था.