एक पहल (नई दिल्ली)। सोमवार को पेगासस जासूसी विवाद पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह यह जानना चाहता है कि आखिर इस मामले में अब तक सरकार ने क्या किया है। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार से पूछा कि आखिर उसने इस मामले में एफिडेविट दाखिल क्यों नहीं किया? इसके साथ ही अदालत ने पेगासस मामले पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। सरकार ने अदालत के सवालों पर कहा कि हमारे पास छिपाने के लिए कुछ भी नहीं है, लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा के कारणों से हम इस पर एफिडेविट दाखिल नहीं कर सकते हैं। सरकार का पक्ष रखते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, ‘इस मामले पर कोई बात एफिडेविट के जरिए नहीं कही जा सकती। एफिडेविट दाखिल करना और फिर उसे सार्वजनिक किया जाना संभव नहीं है।’
केंद्र सरकार की ओर से पेश सोलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने खंडपीठ को बताया कि सरकार इस मामले में अतिरिक्त हलफनामा दायर नहीं करेगी क्योंकि इसमें राष्ट्रीय सुरक्षा का मसला शामिल है। इसके बाद चीफ जस्टिस रमन्ना ने कहा कि अगर सरकार अतिरिक्त हलफनामा नहीं दाखिल करती है तो न्यायालय को इस मामले में अपना आदेश जारी करना होगा। लगभग डेढ़ घंटे तक हुई बहस के बाद न्यायालय ने अंतरिम आदेश सुरक्षित रख लिया।
उन्होंने साफ कहा कि हम आतंकियों को यह जानने का मौका नहीं दे सकते हैं कि हम किस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करते हैं। इस पर अदालत ने सरकार से असहमति जताते हुए कहा कि हम राष्ट्रीय सुरक्षा के तर्क को समझते हैं और हमने यह भी कहा कि सरकार को इस पर कुछ बताने की जरूरत नहीं है। लेकिन यहां हमने इस पर जवाब मांगा है कि निजी तौर पर जिन लोगों के फोन टैपिंग के आरोप लगाए जा रहे हैं क्या वह बात सही है या फिर गलत। केस की सुनवाई कर रहे जस्टिस सूर्यकांत ने सरकार से सवाल किया, ‘पिछली बार भी आपने राष्ट्रीय सुरक्षा का तर्क उठाया था और हमने कहा था कि इस मामले में कोई भी किसी भी तरीके से दखल नहीं दे सकता। हम आपसे व्यक्तिगत तौर पर लोगों के फोन हैक किए जाने को लेकर जवाब मांग रहे हैं।’