केंद्रीय मंत्रिपरिषद में मंत्रियों को शामिल करने में आगामी चुनावों का भी ध्यान रखा गया है। यही कारण है कि उत्तर प्रदेश से पांच बार के सांसद भानु प्रताप सिंह वर्मा और बीएल वर्मा को मंत्री बनाया गया है। उत्तर प्रदेश चुनावों में पार्टी की नजर दलित और पिछड़े वोटों पर है, इसी कारण दोनों नेताओं को मंत्री बनाया गया है।
उत्तर प्रदेश की जालौन सीट से भाजपा सांसद भानु प्रताप सिंह वर्मा पांचवीं बार इसी सीट से सांसद हैं। वर्मा ने पहली बार बुधवार को एक केंद्रीय मंत्री के तौर पर शपथ ली। अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों में खासी पैठ रखने वाले 63 वर्षीय वर्मा जालौन सीट से वर्ष 1996, 1998, 2004, 2014 और 2019 का लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं। वह पहली बार केंद्रीय मंत्री बने हैं।
भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा के उपाध्यक्ष रहे वर्मा
वर्ष 2001 में उत्तर प्रदेश भाजपा के अनुसूचित जाति मोर्चा के उपाध्यक्ष बने वर्मा 2011 से 2013 तक इस मोर्चा के अध्यक्ष भी रहे। वर्मा को साक्षरता और परिवार कल्याण के क्षेत्र में काम करके सरकारी योजनाओं को अनुसूचित जातियों तथा जनजातियों तक पहुंचाने की दिशा में संघर्ष करने के लिए जाना जाता है। वर्मा अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजातियों के कल्याण से संबंधित संसदीय समिति के सदस्य भी हैं।
वर्मा को पहली बार बनाया मंत्री
केंद्रीय मंत्रिपरिषद में राज्य मंत्री के रूप में शामिल किए गए 59 वर्षीय राज्यसभा सदस्य बी. एल. वर्मा ने उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले से भाजपा कार्यकर्ता के तौर पर अपना सफर शुरू किया था और वह अन्य पिछड़ा वर्ग के बड़े नेता माने जाते हैं। वर्ष 2018 में उत्तर प्रदेश भाजपा के उपाध्यक्ष बनने के बाद वह संसद के उच्च सदन के सदस्य भी बने। वह अन्य पिछड़ा वर्ग कल्याण समिति के सदस्य भी हैं। वह पहली बार मंत्री बने हैं।
कल्याण सिंह के नजदीकी हैं वर्मा
वर्मा इससे पहले भाजपा के ब्रज क्षेत्र के अध्यक्ष थे। अन्य पिछड़ा वर्ग के प्रमुख नेताओं में शुमार किए जाने वाले वर्मा पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लोधी समुदाय से आते हैं और उन्हें पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का नजदीकी माना जाता है। वर्मा उत्तर प्रदेश निर्माण एवं अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड के अध्यक्ष भी हैं।