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चेतावनी बिंदु से अभी भी ऊपर बह रही बड़ी गंडक नदी

कुशीनगर:  उत्तर प्रदेश के कुशीनगर के बडी़ गंडक नदी के पानी के बहाव में गत 24 घंटे में 47 हजार क्यूसेक की कमी आई है। हालांकि बाढ़ प्रभावित गांवों के निचले हिस्से में पहुंचा पानी अभी यथावत है। नदी अभी भी चेतावनी बिंदु से ऊपर बह रही है। गंडक के जलस्तर में उतार-चढ़ाव से कटान तेज होने की आशंका बढ़ गई है।

बृहस्पतिवार की शाम चार बजे वाल्मीकिनगर बैराज से गंडक नदी में दो लाख 86 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया था। इसके चलते देर रात भैंसहा गेज स्थल पर जलस्तर चेतावनी बिंदु से 60 सेंटीमीटर ऊपर पहुंच गया था। हालांकि शुक्रवार को जलस्तर कम होने लगा। शाम चार बजे पानी का बहाव दो लाख 39 हजार क्यूसेक हो गया था। भैंसहा गेज स्थल पर शुक्रवार चार बजे जलस्तर 95.35 मीटर दर्ज किया गया।

सालिकपुर के प्रधान रामभजु व महदेवा गांव के प्रधान प्रतिनिधि नथुनी कुशवाहा ने बताया कि पानी गांव के निचले हिस्से में पहुंच गया था जो अभी पूरी तरह निकला नहीं है। नदी गांव के एकदम नजदीक पहुंच गई है। मरचहवा के प्रधान इजहार अंसारी ने बताया कि पानी गांव के निचले हिस्से के करीब तक पहुंच गया है। टूटी सड़कों पर पानी बह रहा है, सोहगीबरवां जाने के लिए अभी कुछ दूर नाव का सहारा लेना पड़ रहा है। एसडीएम अरविन्द कुमार का कहना है कि जलस्तर के ऊपर बराबर नजर रखी जा रही है। बाढ़ चौकी व एसडीआरएफ टीम हालात पर नजर रख रहे हैं। आपात स्थिति से निपटने के लिए तैयारी पूरी है।
बचाव कार्य का 25 मीटर हिस्सा कटकर नदी में बहा

तमकुहीरोड। एपी बांध के नोनियापट्टी गांव के सामने पिछले साल कराये गए बचाव कार्य का लगभग 25 मीटर हिस्सा शुक्रवार को सुबह कटकर नदी में विलीन हो गया। कटान का खतरा बढ़ता देखकर ग्रामीणों की बेचैनी बढ़ गई है।
बृहस्पतिवार की शाम को वाल्मीकिनगर बैराज से गंडक नदी में 2.86 लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने के बाद शुक्रवार सुबह से ही नरवाजोत बांध और एपी बांध पर पानी का दबाव तेज हो गया है। नदी नरवाजोत बांध पर भंगी टोला, दहारी टोला और तवकल टोला के सामने बांध से टकराने लगी है। यही स्थिति एपी बांध के जंगलीपट्टी, घघवा जगदीश, बिनटोली, चैनपट्टी, जवही दयाल,विरवट कोंन्हवलिया, बाक खास, बाघा चौर, नोनियापट्टी आदि की है। शुक्रवार सुबह नदी के बढ़े जलस्तर के कारण नोनियापट्टी के पास दबाव बढ़ गया। यहां पिछले साल कराए गए बचाव कार्य का लगभग 25 मीटर हिस्सा कटकर नदी में विलीन हो गया।

ग्रामीण पप्पू सिंह, अजय राम, दीनानाथ सिंह, दिनेश राम, रमेश राम, राजन सिंह, शिवनाथ सिंह आदि का कहना है कि नदी का रुख इस बार काफी खतरनाक दिख रहा है। बाढ़ खंड के जेई सुनील कुमार यादव का कहना है कि बचाव कार्य को जो हिस्सा धसा है, उसे पानी हटने के बाद दुरुस्त करा लिया जायेगा। फिलहाल बांध पूरी तरह सुरक्षित है।
वाल्मीकिनगर बैराज से बृहस्पतिवार की शाम गंडक नदी में छोड़े 2.86 लाख क्यूसेक पानी का असर शुक्रवार से पिपराघाट ग्राम सभा के निचले हिस्सों में दिखाई देना शुरू हो गया। यहां एक माह में तीसरी बार बाढ़ जैसी हालात उत्पन्न हुई है। पिपराघाट ग्राम सभा गंडक व बांसी नदी के बीच में बसा है। हर साल गंडक नदी में अधिक मात्रा में पानी छोड़े जाने के कारण यह गांव बाढ़ की चपेट में रहता है। पिछले 16 जून को जब 4.12 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया तो कई गांवों में बाढ़ का पानी तक घुस गया था।

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