जब डॉक्टर साहब ने नाड़ी पकड़ी तो मुझे जरा भी नहीं लगा था कि वह इस वक्त कोई डायग्नोसिस दे पाएंगे, लेकिन मैं गलत थी।
कहने को मेडिकल स्टोर लेकिन किसी बड़े अस्पताल से कहीं अच्छा। मैं बात कर रही हूं उत्तर प्रदेश के जिला बाराबंकी के गांव के एक मेडिकल स्टोर की। ये मेडिकल स्टोर है डा० फखरे आलम सिद्दीकी का जो आज पास के क्षेत्र में “डा० टटोला” के नाम से मशहूर हैं। और हों भी क्यों न?, डा० साहब की खासियत है की वो नब्ज़ पकड़कर मर्ज़ बता देते हैं और उसके इलाज हेतु दवा भी उपलब्ध करा देते हैं।
डा० टटोला को इंसानी शरीर की संरचना और बीमारियों, जैसे सर्दी, खांसी, जुकाम, घुटने का दर्द, कमजोर दिल या फेफड़े, पेट में बच्चे का विकास इन सभी भरपूर ज्ञान हैं वैसे, डॉक्टर टटोला हमें बताते हैं कि यहां पिछले साल इलाज के लिए एक लाख मरीज आए थे।
जब हमने पूछा कि तरीका क्या बाकियों जैसा है या कुछ अलग भी है तो पता चला कि नाड़ी सुबह जागने के साथ जांची जाती है या जब आप कम से कम आधा घंटा स्थिर बैठे हों, कभी भी नहीं। शरीर के जिस भी अंग में तकलीफ हो उसे कुछ गिनकर ऑब्जर्व किया जाता है, दिनचर्या वगैरह पूछी जाती है।
मेरे सहयोगी उमाशंकर सिंह ने तुरंत यह जानना चाहा कि क्या वजन घटाने का कोई शॉर्ट कट है तो जवाब मिला कि उसके लिए तो मेहनत करनी ही पड़ेगी और हां अगर आप सोच रहे हों कि बड़ा आसान है इस पद्धति का डॉक्टर बनना तो ऐसा नहीं है। इसके लिए पांच-छह साल पढ़ाई करनी पड़ती है।
खैर, में में अपनी जिस बीमारी को लेकर डा० साहब के पास गई थी उसका इलाज तो उन्होंने बता दिया लेकिन मुझे यह देखकर हैरत हुई की डॉक्टर ने मेरा डायग्नोसिस बिल्कुल सही किया है।