सीमेंट बनाने के लिए रिलायंस थर्मल पावर से राख मंगाई जा रही थी और कलिंकर को मध्यप्रदेश से मंगाया जाता है। सोमवार रात करीब नौ बजे शुरू हुई छापेमारी देर रात तक चलती रही।
- ब्रांडेड कंपनियों की तुलना में 100-150 रुपए कम पर बेचते थे सीमेंट
- इससे पहले रोजा थाना क्षेत्र में भी पकड़ी गई नकली सीमेंट की फैक्टरी
उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में एक नकली सीमेंट बनाने वाली फैक्ट्री पकड़ी गई है, यहां पर ब्रांडेड कंपनियों से मिलते जुलते नाम की सीमेंट बनाकर पैक की जा रही थी। बरेली STF ने स्थानीय पुलिस के सहयोग से नकली सीमेंट बनाने वाली फैक्ट्री का पर्दाफाश किया है। यह सीमेंट पूरे उत्तर प्रदेश भर में सप्लाई की जा रही थी खासकर, इस सीमेंट का इस्तेमाल सरकारी निर्माण कार्यों में ठेकेदार करते थे।
दो ट्रक और दस हजार खुली बोरी सीमेंट बरामद की
STF ने फैक्टरी से करीब दो ट्रक और दस हजार खुली बोरी सीमेंट बरामद की है। एक्सपर्ट के अनुसार, इस सीमेंट की लाइफ ब्रांडेड सीमेंट से आधी भी नहीं है। सभी ब्रांड में एक जैसा सीमेंट भरकर अलग अलग जिलों में भेजा जा रहा था। छापेमारी के दौरान फैक्टरी मालिक जरूरी कागजात नहीं दिखा पाया। पुलिस ने मालिक और उसके भाई को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है।
लखीमपुर खीरी जिले के रहने वाले विक्रम तनेजा ने 2015 में शाहजहांपुर के थाना कांट क्षेत्र के जमौर इलाके में UPSIDC का गोदाम 99 साल की लीज पर लिया था। जिसके बाद ऋषिकेश सीमेंट फैक्ट्री सीमेंट कंपनी के नाम से फैक्ट्री शुरू की थी। करीब आठ ब्रांड अपने नाम से रजिस्टर्ड कराकर उसी नाम को बोरी पर छपवाकर अपनी कंपनी बना ली। एक तरीके का सीमेंट आठ अलग-अलग ब्रांड के बोरियों में भरकर उसको यूपी के अलग-अलग होल सेलर को बेचा जा रहा था।
नकली सीमेंट बनाने की सूचना पर बरेली की एसटीएफ टीम ने स्थानीय पुलिस के साथ फैक्ट्री पर छापेमारी की।
ट्रक में लोड होने वाला था सामान
छापेमारी के वक्त दो ट्रकों में अलग-अलग जिलों में सीमेंट जाने के लिए ट्रक तैयार खड़े थे, जिनको एसटीएफ और पुलिस ने रोक लिया। फैक्ट्री में खुला सीमेंट पड़ा था। इनकी तादाद करीब दस हजार बोरी थी। उसको भी कब्जे में ले लिया है। हजारों की तादाद में फैक्ट्री के अंदर बने गोदाम में ब्रांडेड कंपनी की छपी हुई बोरियां छोटे से गोदाम में रखी हुई मिली। बताया जा रहा है कि सीमेंट फैक्ट्री में बड़ी तादाद में नकली सीमेंट बनाने का काम किया जा रहा था। सीमेंट बनाने के लिए रिलायंस थर्मल पावर से राख मंगाई जा रही थी और कलिंकर को मध्यप्रदेश से मंगाया जाता है। सोमवार रात करीब नौ बजे शुरू हुई छापेमारी देर रात तक चलती रही।
43 से भी कम ग्रेड की थी सीमेंट
जो सीमेंट पकड़ी गई है, उसका ग्रेड 43 से भी कम था। इस क्वालिटी की सीमेंट से बने मकान स्टैंडर्ड समय सीमा से काफी कम टिकते हैं। बाकी रासायनिक जांच से स्पष्ट हो सकेगा कि भारी मात्रा में पकड़ी गई सीमेंट की गुणवत्ता क्या थी। निर्माण कार्य से जुड़े अभियंता कहना है कि आयरन, सिलिका, मैगनीज आदि कई घटकों की मात्रा नकली सीमेंट में निर्धारित मानक से कम हो सकती है।
53 ग्रेड की सीमेंट मानी जाती है बेहतर
लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता ओपी वर्मा के अनुसार उच्च गुणवत्ता वाले किसी भी ब्रांडेड सीमेंट 53 ग्रेड की होती है। इसमें कैल्सियम (चूना), क्ले (मिट्टी), आयरन, मैगनीज, सिलिका आदि घटकों का निश्चित अनुपात होता है। सभी घटकों को एक निश्चित समय तक ग्राइंडर में पीसा जाता है। इस पाउडर की गोलियां (क्लिंकर) बनाकर सुखाने के बाद उन्हें दोबारा पीसा जाता है और तब जाकर बेहतर सीमेंट तैयार होता है। अब फ्लाई ऐश अर्थात कारखानों से निकलने वाली राख से बने पोर्टलैंड पोजलाना सीमेंट (पीपीसी) का भी निर्माण कार्य में इस्तेमाल किया जा रहा है।
आयरन कम, क्ले ज्यादा मिला देते हैं
आयरन पाउडर सीमेंट को मजबूती देता है। इसी से भूरापन आता है। पकड़ी गई सीमेंट में आयरन की मात्रा बेहद कम और क्ले की मात्रा को बढ़ा दिया जा रहा था, जिससे सीमेंट तो सस्ती बन रही थी, लेकिन इसकी क्वालिटी बेहद घटिया हो गई थी। ऐसी सीमेंट से मकान बनाने पर उसका तत्काल कोई असर नहीं दिखता है, लेकिन टिकता बहुत कम है। इससे पहले रोजा थाना क्षेत्र में दिसंबर 2020 में नकली सीमेंट बनाने की फैक्टरी पकड़ी जा चुकी है। दस से ज्यादा लोग गिरफ्तार किए गए थे।
एसपी सिटी संजय कुमार ने बताया कि बरेली एसटीएफ ने मुखबिर की सूचना पर छापेमारी की थी। जिस फैक्टरी में नकली सीमेंट बनता हुआ मिला है, उसके मालिक समेत कई लोगों को हिरासत में लेकर कागजातों की जांच और आगे की कार्रवाई की जा रही है।
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