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उत्तर प्रदेश में 2022 विधानसभा चुनाव के लिए मोदी-शाह का ‘स्पेशल 15’ फॉर्मूला

नई दिल्ली: मोदी सरकार के कार्यकाल का पहला कैबिनेट विस्तार होने के साथ ही बीजेपी और केंद्र सरकार ने सबसे बड़ा संकेत दे दिया है कि उनका अगला मिशन है. आबादी के लिहाज से सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश, अब से करीब 7 से 8 महीने बाद उत्तर प्रदेश में विधानसभा के चुनाव हो रहे होंगे. ये चुनाव बीजेपी के लिए सबसे महत्त्वूर्ण चुनाव होगा. मंत्रिमंडल विस्तार में सबसे ज्यादा 7 नए मंत्री यूपी से शामिल किए गए. इसी के साथ अब मोदी कैबिनेट में यूपी से मंत्रियों की संख्या 15 हो चुकी है. यानी मिशन 2022 के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्पेशल 15 की टीम तैयार है.

प्रधानमंत्री मोदी की नई कैबिनेट में शामिल उत्तर प्रदेश के 7 नए चेहरे 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव में बीजेपी के लिए मास्टरस्ट्रोक साबित हो सकते हैं. बुधवार को प्रधानमंत्री मोदी ने अपने अब तक के कार्यकाल का सबसे बड़ा कैबिनेट फेरबदल किया. कैबिनेट विस्तार में यूपी के कोटे से सबसे ज्यादा 7 मंत्री आए.

उत्तर प्रदेश से 8 मंत्री पहले से मोदी कैबिनेट में थे, जिसके बाद मंत्रिमंडल में यूपी से अब कुल 15 मंत्री हैं. जाहिर है आबादी के हिसाब से सबसे बड़ा राज्य है, इसीलिए कैबिनेट में प्रतिनिधित्व भी सबसे ज्यादा यूपी का ही होना लाजमी है. बुधवार यूपी से जिन 7 नए मंत्रियों को कैबिनेट में जगह मिली अब उनके बारे में भी जान लीजिए.

अनुप्रिया के जरिए कुर्मी वोट बैंक पर नजर

अनुप्रिया पटेल को वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय में राज्य मंत्री का कार्यभार सौंपा गया है. मिर्जापुर से सांसद अनुप्रिया पटेल पूर्वांचल में कुर्मी वोट बैंक का सबसे बड़ा चेहरा हैं. अपना दल(एस) की अध्यक्ष अनुप्रिया का बीजेपी से गठबंधन है. पूर्वांचल और बुंदेलखंड के कुर्मी वोट बैंक पर अपना दल (एस) की पकड़ है और इसीलिए 2022 के लिए अनुप्रिया पटेल के जरिए कुर्मी वोट बैंक पर नजर है.

बनवारी लाल वर्मा को मोदी कैबिनेट में पूर्वोत्तर विकास मंत्रालय और सहकारिता मंत्रालय में  राज्य मंत्री का दर्जा मिला है. 2020 में यूपी से पहली बार बीजेपी के राज्यसभा सांसद बने. बंदायूं के रहने वाले बनवाली लाल वर्मा ओबीसी समुदाय की लोधी जाति से आते हैं. एक अनुमान के मुताबिक ब्रज क्षेत्र के 12 जिलों की 66 विधानसभा सीटों पर OBC की पकड़ मजबूत बनाने में बनवारी लाल वर्मा मददगार होंगे.

आगरा से बीजेपी सांसद सत्यपाल सिंह बघेल को मोदी मंत्रिमंडल में कानून मंत्रालय में राज्य मंत्री का पद मिला है. पांचवीं बार सांसद बने एसपी सिंह बघेल की पकड़ पाल-बघेल और धनगर वोटरों में अच्छी मानी जाती है. आगरा, फिरोजाबाद और समाजवादी पार्टी के गढ़ से आने वाले एसपी सिंह बघेल एक वक्त में मुलायम सिंह यादव के सबसे करीबी लोगों में से एक थे, लेकिन 2017 में एसपी सिंह बघेल बीजेपी में शामिल हो गए और 2019 में बीजेपी के टिकट पर जीतकर लोकसभा पहुंचे.

यूपी में जब कोराना की महामारी फैली थी, तो लखनऊ के पास मोहनलालगंज से सांसद कौशल किशोर ने योगी सरकार के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया था और धरने तक की धमकी दी थी. जब मोदी कैबिनेट का विस्तार हुआ तो उन्हें भी जगह मिली. बीजेपी ने कौशल किशोर के जरिए एक तीर से दो निशाना साधा है.

कौशल किशोर अवध इलाके में अनुसूचित जाति के चेहरा माने जाते हैं. इससे एक तरफ अनुसूचित जाति के वोटरों पर पकड़ मजबूत हुई. वहीं उन्हें केंद्र में मंत्री पद देकर 2022 के लिए योगी आदित्यनाथ की राह आसान करने की भी कोशिश की गई है.

पंकज चौधरी मोदी सरकार में नए वित्त राज्य मंत्री है, पूर्वांचल के महाराजगंज से छठी बार सांसद पंकच चौधरी बीजेपी के पुराने नेता हैं. ओबीसी समुदाय में कुर्मी बिरादरी से आने वाले पंकज चौधरी के जरिए पूर्वांचल के कुर्मी वोटरों पर नजर है.

बीजेपी इस बार को अच्छी तरह जानती है कि 2022 में अगर उत्तर प्रदेश में दोबारा कमल खिलाना है, तो ओबीसी वोटरों को अपने पाले में ही रखना होगा. 2022 में यूपी को  साधने के लिए किस तरह ओबीसी वोटरों का ध्यान रखा गया. बुधवार को मोदी कैबिनेट का विस्तार हुआ लेकिन उत्तर प्रदेश के जातीय समीकरण पर फोकस सबसे ज्यादा रहा.

यूपी के 7 नए मंत्रियों में 3 ओबीसी से हैं. यूपी में वोटरों की कुल संख्या में ओबीसी 32 प्रतिशत हैं. नए मंत्रियों में 3 अनुसूचित जाति से हैं. यूपी में 21 फीसदी वोटर अनुसूचित जाति हैं. मोदी की नई टीम में यूपी से अगड़ी जाति से एक मंत्री हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि यूपी में ब्राह्मण 12 प्रतिशत हैं.

2022 में पिछड़ी जातियों के साथ अगड़ी जातियों का ख्याल भी रखना ज़रूरी है,  इसीलिए यूपी के लखीमपुर से सांसद अजय मिश्र को नई कैबिनेट में जगह मिली है, उन्हें गृह मंत्रालय में राज्य मंत्री का पद मिला है. अजय मिश्र ब्राह्मण हैं. और इन्हें मंत्रिमंडल में जगह देकर बीजेपी की कोशिश है कि अवध और मध्य यूपी के ब्राह्मण वोट बैंक पर पकड़ मजबूत की जाए.

उत्तर प्रदेश के जालौन से सांसद भानु प्रताप सिंह वर्मा के नाम के बाद अब राज्य मंत्री सूक्ष्म, लघु, मध्यम उद्योग मंत्रालय का नेम प्लेट लग गया है. मंत्रिमंडल विस्तार में उन्हें राज्य मंत्री का दर्जा मिला है. बुंदेलखंड से आने वाले भानु प्रताप वर्मा दलित समुदाय से हैं. 5 वीं बार सांसद हैं, लिहाजा बुंदेलखंड के दलित वोटरों पर इनकी कितनी अच्छी पकड़ होगी ये बीजेपी अच्छे से जानती है.

7 नए चेहरों के बीच मोदी मंत्रिमंडल में पहले से यूपी से 8 मंत्री हैं. इनमें सबसे पहला नाम तो रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का ही है. इसके अलावा महिला बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी, अल्पसंख्यक  कल्याण मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी, भारी उद्योग मंत्री महेंद्र नाथ पाण्डेय, सड़क परिवहन राज्य मंत्री वीके सिंह, उपभोक्ता मामलों की राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति और केंद्रीय पशुपालन राज्य मंत्री संजीव बालियान.. इनके अलावा हरदीप सिंह पुरी यूपी से ही राज्यसभा से सांसद हैं और उनके पास पेट्रोलियम मंत्रालय है.

कुल मिलाकर मोदी कैबिनेट के स्पेशल 15 ही 2022 के विधानसभा चुनाव में केंद्र की रणनीति को अमल में लाएंगे. मोदी मंत्रिमंडल में सबसे अनोखी बात ये है कि उत्तर प्रदेश के हर इलाके को कैबिनेट में जगह मिली है. मोदी कैबिनेट में कैसे पूर्वांचल से पश्चिमी यूपी और, बुंदेलखंड से अवध तक ध्यान रखा गया.

एक तरफ बीजेपी 2022 के लिए सोशल इंजीनियरिंग के फॉर्मूले पर काम कर रही है, तो वहीं दो पार्टियां एक अलग ही फॉर्मूला तैयार करने में जुट गई हैं. ओमप्रकाश  राजभर की सुहेलदेव समाज पार्टी और असदुद्दीन ओवैसी के AIMIM के बीच गठबंधन तैयार हो रहा है. राजभर की पार्टी का पूर्वांचल में वजूद है लेकिन मन में पूरे यूपी में चुनाव लड़ने के लड्डू फूट रहे हैं.

सुहेलदेव समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने ये कहा कि बातचीत हुई है कि कैसे 403 सीट पर चुनाव लड़ा जाएगा. भाजपा को छोड़कर किसी के साथ भी गठबंधन कर सकते है. अब अगले 7 महीने तक राजनीति का पूरा फोकस उत्तर प्रदेश की ओर शिफ्ट होने वाला है, जिसके संकेत भी मिलने शुरू हो गए हैं. केंद्रीय मंत्रिमंडल विस्तार कर बीजेपी ने देश के सबसे बड़े प्रदेश के चुनाव के लिए तैयारियों का बिगुल फूंक दिया है.

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